थर्मल पावर प्लांट का कार्य सिद्धांत और ऊर्जा उत्पादन कैसे होता हैं
थर्मल पावर प्लांट क्या है?
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थर्मल पावर प्लांट इस प्रक्रिया में गर्मी से भाप बनाई जाती है, जो टरबाइन को घुमाती है और जनरेटर के माध्यम से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करती है। यह ऊर्जा उत्पादन का सबसे पुराना और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला तरीका है।
थर्मल पावर प्लांट का कार्य सिद्धांत
ईंधन का दहन
संयंत्र में ईंधन (कोयला, डीजल, या गैस) को बड़े बॉयलर में जलाया जाता है।
दहन प्रक्रिया से अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है।
यह गर्मी बॉयलर के अंदर पानी को गर्म कर भाप में बदल देती है।
भाप उत्पादन
पानी को इतनी अधिक गर्मी दी जाती है कि वह उच्च दबाव और तापमान वाली भाप में बदल जाता है।
यह भाप ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया का मूल स्रोत होती है।
टरबाइन संचालन
भाप को अत्यधिक दबाव के साथ टरबाइन में प्रवाहित किया जाता है।
टरबाइन के ब्लेड्स भाप के दबाव से घूमते हैं, जिससे यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
जनरेटर में विद्युत उत्पादन
टरबाइन से जुड़ा जनरेटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
यह प्रक्रिया विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित है। जिससे यांत्रिक ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है और विद्युत ऊर्जा प्राप्त होता है
भाप का पुनर्चक्रण
टरबाइन से निकलने वाली भाप को कंडेंसर में ठंडा किया जाता है, जिससे यह फिर से पानी में बदल जाती है।
इस पानी को दोबारा बॉयलर में भेजा जाता है, जिससे यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है।
थर्मल पावर प्लांट के मुख्य घटक
बॉयलर
पानी को गर्म कर भाप में बदलने का कार्य करता है।
इसमें अत्यधिक तापमान पर दहन प्रक्रिया चलती है।
टरबाइन
यह भाप की ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
इसमें ब्लेड्स होते हैं, जो भाप के प्रवाह से घूमते हैं।
जनरेटर
यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
इसमें रोटर और स्टेटर जैसे प्रमुख घटक होते हैं।
कंडेंसर
भाप को ठंडा कर पुनः पानी में बदलने का कार्य करता है।
यह ऊर्जा दक्षता बढ़ाने में सहायक है।
कूलिंग टावर
गर्म पानी को ठंडा करने में मदद करता है।
कूलिंग टावर नेचुरल रूप से गर्म पानी को मोटर के द्वारा ऊपर में लगे एक झरना से नीचे गिरता है जिससे गर्म पानी का टेंपरेचर में कुछ कमी आ जाता है अर्थात गर्म पानी थोड़ा सा ठंडा हो जाता है
यह प्लांट को स्थिर और कुशल बनाए रखने में सहायक है।
थर्मल पावर प्लांट के फायदे और नुकसान
फायदे
उच्च उत्पादन क्षमता बड़ी मात्रा में बिजली उत्पन्न कर सकता है।
ईंधन की उपलब्धता कोयला और गैस आसानी से उपलब्ध होते हैं।
स्थापना में सरलता अन्य ऊर्जा स्रोतों की तुलना में इसे स्थापित करना आसान होता है।
नुकसान
पर्यावरण प्रदूषण कोयला और गैस के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें उत्पन्न होती हैं।
संसाधनों की खपत बड़ी मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों की खपत होती है।
दीर्घकालिक लागत संचालन और रखरखाव पर अधिक खर्च आता है।
भारत में थर्मल पावर प्लांट का महत्व
भारत में थर्मल पावर प्लांट ऊर्जा उत्पादन का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।
ऊर्जा में योगदान
देश की कुल electrical energy ऊर्जा आपूर्ति का लगभग 65% थर्मल पावर प्लांट से आता है।
कोयला आधारित संयंत्र सबसे ज्यादा प्रचलित हैं।
प्रमुख स्थान
एनटीपीसी बाढ़ बिहार, एनटीपीसी Jharkhand ,सिंगरौली (उत्तर प्रदेश), कोरबा (छत्तीसगढ़), और तुतीकोरिन (तमिलनाडु) जैसे स्थानों पर प्रमुख संयंत्र स्थित हैं।
आर्थिक प्रभाव
औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन में इन संयंत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
पर्यावरणीय चिंताएँ और उनके समाधान
थर्मल पावर प्लांट से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दे और उनके समाधान:
प्रदूषण नियंत्रण
उत्सर्जन कम करने के लिए आधुनिक स्क्रबर और फिल्टर का उपयोग किया जा रहा है।
पानी का संरक्षण
कूलिंग टावरों में पुनः उपयोग की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जा रही है।
नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग
सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देकर थर्मल संयंत्रों पर निर्भरता घटाई जा रही है।